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E BOOK-NARAK SARHAD PAAR @249.00
AUTHOR
VIVEK AGRAWAL, a journalist with 3 decades of vast experience in the field of crime, defense, legal & terrorism in all the dimensions of media. Since 1985, he actively started writing as a freelancer for the local, state & national newspapers and earned good name in the united Madhya Pradesh.
His career in the mainstream newspapers started in 1992 with Hindi tabloid ‘Hamara Mahanagar’ at Mumbai. In 1993, joined Hindi national newspaper ‘Jansatta’ as a crime reporter. He broke many big time stories in both the newspapers.
His broadcast media journalism days started with India’s First Views Channel ‘Janmat’ (Live India) as Bureau Head, Maharashtra-Goa. He was part of the team of channel ‘Mi Mrathi’. Then joined ‘India TV’ as an investigative journalist.
Vivek Agrawal joined as State Head with ‘News Express’. He cracked many stories of Mumbai Mafia, Terrorism, Financial Crimes and Homeland Security all these days.
He is now focusing on writing and documentary projects, consulting print and electronic media houses to establish & run news businesses with right directions and high esteem.
He is offering his services as a news broadcast channel / newspaper / magazine setup professional to news assessment editor to various new establishments across the nation.
26 books on true crime and other serious subjects written by Vivek. He is the country’s first and only researcher-true crime writer in Hindi language.
His books ‘Mumbhai‘ and ‘Mumbhai Returns‘ created quite a stir in the publishing industry and content field. The book ‘Mumbhai’ won the Maharashtra State Hindi Sahitya Akademi Award 2018 in Journalism Catagory. In the same year ‘Mumbhai’ stood #1 in the non-fiction category in the Jagran-Nielsen survey.
The novel Dattatraya Lodge stood 2nd in the Maharashtra Sahitya Academy, Jainendra Kumar Award 2021-22 in the Novel category.
His one of the bestselling book Bombay Bar translated into Punjabi.
He was Chief Content Coordinator for Documentary Money Mafia Season 3 on Discovery Plus.
He is into creative writing for the Films, TV Shows and Web Series. Scripted 2 films, many short films, TV Shows.
Many Film, Web Series, TV+, TV Shows and Podcast projects are underway based on his books or concepts. Not only Crime, Mafia, Terrorism, Mysteries, Social Crimes, Economic Crimes but Social & Entertaining subjects are also procured by studios / production houses.
Unique and startling concepts and stories for the entertainment shows are his strength.
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E BOOK-ADRASHYA @149.00
ADRASHYA
ADRISHYA, is a story of a nuclear family and a young kid, who never understood the family threads. Book belongs to horror zoner with the highest family values. ADRISHYA, A First in the history of Indian cinema & Hindi publication arena, a novellus based on a novel idea to convert a film script into literary work. Book is penned by award winning authors Alka Agrawal Sigtia & Vivek Agrawal.
यह किताब एक फिल्म को साहित्यिक रूप में ढालने का अपने-आप में अनूठा और ऐतिहासिक प्रयोग है। फिल्म कुछ समय के लिए होती है लेकिन किताब सदा के लिए होती है। इस उपन्यास की कहानी एक सार्वभौमिक व शाश्वत समस्या पर रोशनी डालती है। इसे ‘हॉरर’ और ‘मिस्ट्री’ की चाशनी में लपेट कर आकर्षक रूप में पेश करने की कोशिश है।
प्रियदर्शिनी देश की प्रधानमंत्री, जिनके लिए भारत की संप्रभुता सबसे ऊपर है। अमरीका ने खतरनाक सीआईए एजंट रॉबर्ट को प्रियदर्शिनी वध का जिम्मा सौंप रखा है। रॉबर्ट हमले की योजनाएं बनाता है, हर हमले का उसे रेड बैरेट से मुंहतोड़ जवाब मिलता है।
सेना के विभाग टेक्टिकल एक्शन ग्रुप (टेग) के बैनर तले काम करने वाले अज्ञात ग्रुप का कोड नेम रेड बैरेट है।
रेड बैरेट के पास सिर्फ एक काम है - हर हाल में प्रधानमंत्री की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाना, दुश्मनों के एक्टिव होते ही दबोच कर सूचनाएं हासिल करना और मार गिराना।
रेड बैरेट के लिए सीमाओं का बंधन नहीं है। इन्हें सारी दुनिया में काम करने के लिए मुक्त रखा गया।
रेड बैरेट उपन्यास पूरे घटनाक्रम का रोमांचक और लोमहर्षक वर्णन पेश करता है। भारतीय सैन्य खुफिया इकाई की जाबांजी के तमाम किस्सों में से कुछ रेड बैरेट में पेश करता है।
The novel is based on the true event. Book is based on the encounter of bandit Ghanshayam Kevat alias Ghansu Dakait at Jamouli Village of District Chitrkoot, UP in 2015.
It is litrery depiction of the event and covers the concerns and issue involved. This is the story of 3 days of the encounter in full length.
उत्तरप्रदेश के चित्रकूट जिले का गांव जमौली। अचानक पूरी दुनिया की निगाहों का मरकज बन गया। कारण था दुर्दांत डकैत घनश्याम केवट उर्फ घनसू उर्फ नान डकैत उर्फ बग्गड़ की 59 घंटों तक पुलिस के साथ चली मुठभेड़।
इस सत्य घटना पर आधारित कृति तैयार करने के लिए खासा शोध किया है। यह कहानी न डकैतों की है, न पुलिस वालों की। न अपराधियों की, न शहीदों की। न सम्मान की, न अपमान की। यह कहानी है नजरिए की।
माफिया सिरीज की छठी किताब, जिसमें अंडरवर्ल्ड और फिल्म जगत के आंतरिक रहस्यों का पर्दाफाश है।
मुंबई फिल्मोद्योग की एक सेक्सी अभिनेत्री मुंबई अंडरवर्ल्ड के बेताज बादशाह दानिश की अंकशायिनी कैसे और क्यों बनी? इस अदाकारा का ही जीजा अदीब कैसे और क्यों बन गया डॉन दानिश के लिए फिल्म जगत की अंदरूनी सूचनाएं देने वाला इनसाईडर? फिल्मी दुनिया और अंडरवर्ल्ड के बीच ऐसा चोली-दामन का गठबंधन है कि छूटे नहीं छूटता।
पुलिस वाले भी फिल्मी दुनिया का दोहन अंडवर्ल्ड के रिश्तों और उससे बचाने के नाम पर करते हैं।
ये तमाम नग्न सत्य का प्रकटन करता विवेक अग्रवाल का सच्चे किरदारों को केंद्र में रख कर लिया उपन्यास आपको हर पल चौंकाएगा।
ये छोटे-छोटे व्यंग्य यक्ष-युधिष्ठिर संवाद रूप में जब सामने आते हैं, तो हर उस बात पर व्यंग्य करते चलते हैं, जो लेखक समाज में देखता है। एक - दो पन्नों के लेख में रचना तत्व तो व्यंग्य विधान का है लेकिन प्राचीन आख्यानक के जरिए प्राचीन और अर्वाचीन की तुलना करते जाने से अधिक पैनापन आया है। वक्त की सलीब पर लटके यक्ष और युधिष्ठिर जैसे पात्र जब प्रश्न एवं उत्तर उपस्थित करते हैं, तो उनमें यथार्थ के अनगिन शूल मन में धंसते जाते हैं। ये व्यंग्य रिपोर्ताज श्रेणी का लेखन है, जो इन दिनों कम ही देखने में आता है। विवेक अग्रवाल चूंकि एक पत्रकार हैं, वे सामाजिक-राष्ट्रीय विषयों पर पैनी निगाह रखते हैं, जिसके चलते इन पर तंज करने से भी नहीं चूकते हैं।
E BOOK-CORONA UNCOS
Corona Uncos is a collection of stories that are very heart warming or terribly heart wrenching. While some stories might shatter your faith in humanity, some of them will not fail to bring a smile on your face.
This book is completely dedicated to the known and unknown Corona Warriors. 150 such stories have been written and compiled by Tanisha Agrawal.
मुम्बई की बारबालाओं की अब तक अनकही दास्तान को बयान करती है। बारबालाओं की जिन्दगी की उन सच्चाइयों से परिचित कराती है जो निहायत तकलीफदेह हैं।
अपने हुस्न और हुनर से दूसरों का मनोरंजन करती हैं यह उनकी जाहिर दुनिया है। लेकिन शायद ही कोई जानता होगा कि दूर किसी शहर में मौजूद अपने परिवार से अपनी सच्चाई को लगातर छुपाती हुई वे उसकी हर जिम्मेदारी उठाती हैं। वे अपने परिचितों की मददगार बनती हैं। लेकिन अपनी हसरतों को वे अकसर मरता हुआ देखने को विवश होती हैं।
कुछ बारबालाएँ अकूत दौलत और शोहरत हासिल करने में कामयाब हो जाती हैं, पर इसके बावजूद जो उन्हें हासिल नहीं हो पाता, वह है सामाजिक प्रतिष्ठा और सुकून-भरी पारिवारिक जि़न्दगी।
नाउम्मीदी-भरी इस दुनिया में शर्वरी सोनावणे जैसी लड़की हैं जो बारबालाओं को जिस्मफरोशी के धन्धे में धकेलनेवालों के खिलाफ कानूनी जंग छेड़े हुए है।
E BOOK-Jai Hind Subhash @ 149.00
जयहिंद सुभाष
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के स्वतंत्रता संग्राम को समर्पित नाटक है ‘जयहिंद सुभाष’। नाटक में बालक, किशोर, युवा और प्रौढ़ सुभाष चन्द्र बोस के भारत की स्वाधीनता के संघर्ष की प्रमुख घटनाओं का चित्रण किया गया है।
यह ऐतिहासिक नाटक सत्य घटनाओं पर आधारित है। नाटक के गीत-संगीत में, आजाद हिन्द फौज के मूल गीतों का भी उपयोग किया गया है।
क्रांतिकारियों के जीवन पर 35 पुस्तकों का लेखन करने वाले श्री सत्यनारायण शर्मा और सुभाष चंद्र बोस से जुड़े साहित्य के अध्धयनकर्तातपन मुखर्जी ने इस नाटक की प्रशंसा है। इसे आज़ादी के अमृत महोत्सव के समय में लिखी गई एक उपयोगी नाट्य कृति बताया है।
जाने-पहचाने लेखक और पत्रकार शकील अख़्तर ने इस नाटक का लेखन किया है
E BOOK-Durga Bhabhi @ 149.00
‘दुर्गा भाभी: अंडरकवर पोस्ट बॉक्स’ एकल नाटक है।
देशभक्ति पूर्ण यह ऐतिहासिक नाटक महिला क्रांतिकारी दुर्गावती वोहरा के जीवन पर आधारित हैं। वे स्वतंत्रता संग्राम की साक्षी भी थीं और सहभागी भी। क्रांतिकारियों में वे दुर्गा भाभी के नाम से पहचानी जाती थीं। इस क्रांति-कथा में 1920 से 1931 के बीच के घटनाक्रम हैं। इसी काल में चंद्रशेखर आज़ाद और भगत सिंह जैसे महान क्रांतिकारियों ने अंग्रेज़ों के खिलाफ़ बलिदानी संघर्ष किया था।
रंगमंच की इस प्रस्तुति का लेखन जाने-पहचाने लेखक और पत्रकार शकील अख़्तर ने किया है। नाटक के लेखन में दुर्गावती के संपर्क में रहे वयोवृद्ध लेखक श्री सत्यनारायण शर्मा का मार्गदर्शन रहा है।
इस नाटक की ऐतिहासिक उपन्यासकार डॉ. शरद पगारे और फ़िल्म निर्माता, लेखक और दूरदर्शन व ऑल इंडिया रेडियो के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक श्री राजशेखर व्यास ने प्रशंसा की है।
मुंबई माफिया पर कुछ लिखना, वह भी तब, जब बहुत कुछ कहा-सुना-लिखा-पढ़ा जा चुका हो, एक चुनौती है। ऐसी किताब पेश की है, जिसमें अंडरवर्ल्ड के ढेरों राज फाश हुए हैं।
ख़बरों की कुछ दिनों तक कीमत होती है लेकिन संग्रहणीय किताब सदियों तक कीमती बनी रहती है। देश का सबसे खतरनाक अंडरवर्ल्ड पूरे विश्व में जा पहुँचा है।
सुकुर नारायण बखिया, लल्लू जोगी, भाणा पटेल, हाजी मस्तान, करीम लाला तक तस्करी थी। वरदराजन मुदलियार ने कच्ची शराब, जुआखानों, चकलों, हफ़्तावसूली तक वो सब किया, जिससे गैंग के बीज पड़े। उसके बाद मन्या सुर्वे, आलमज़ेब, अमीरजादा, पापा गवली, बाबू रेशिम, दाऊद, गवली, सुभाष ठाकुर, बंटी, हेमंत, रवि, संतोष शेट्टी, वगैरह आए। ‘मुंभाई’ में कई अछूते विषय हैं। यह शोधपरक लेखन है। यह पुस्तक अंडरवर्ल्ड का जीवंत दस्तावेज़ है। ये ‘मुंभाई’ श्रृंखला की दुसरी पुस्तक है।
महात्मा गांधी की 150 वीं जयंति वर्ष में उनके बचपन पर लिखा शकील अख़्तर का यह बहुप्रशंसित नाटक है।
शोध आधारित इस नाटक में महात्मा गांधी के 7 साल की उम्र से 18 साल की उम्र तक यानी 1876 से 1887 के बीच गुज़रे अहम प्रसंग हैं।
नाटक के पहले दो शोज़ नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, दिल्ली (भारत) में हुए हैं। सीनियर थिएटर डायरेक्टर हफीज़ ख़ान के निर्देशन में इन शोज़ में 23 बाल कलाकारों ने काम किया था।
एनएसडी के रजिस्ट्रार पीके मोहंती के शब्दों में, बच्चों के लिये यह प्रेरक और शिक्षाप्रद नाटक है।
हफीज़ ख़ान कहते हैं, ‘नाटक में महात्मा गांधी के बाल जीवन के वो अहम प्रसंग हैं जिन्होंने उन्हें ‘मोनिया दि ग्रेट’ बनाया।
मुंबई के डांस बारों पर एक किताब लिखने चला तो ‘बांबे बार – चिटके तो फटके’ तैयार हो गई। उसके बाद काम किया, तो ‘बारबंदी – बरबाद बारों की बारात’ भी तैयार हो गई। उसके बावजूद इतना मसाला बचा रह गया कि एक और किताब तैयार हो जाए, लिहाजा बारबंदगी ने आकार ले लिया।
मुंबई के डांस बार पूरी दुनिया के कैनवस पर सतरंगी और बदरंगी सपनों का संसार हर रोज रचता है। इसमें जो झिलमिलाते सितारे हैं, वह पीछे से दर्द के तारों से बंधा है।
महाराष्ट्र सरकार भले ही कहे कि राज्य में बारबंदी है, सच तो यह है कि हर जगह ‘बारबंदगी’ जारी है। रिश्वत और भ्रष्टाचार के जरिए इनकी रंगीनियां सारी रात गुलजार रहती हैं।
बारबंदी किताब में जहां बारों पर ताला जड़ने और उसके संघर्ष की दास्तान ऊभर कर सामने आई, वहीं बारबंदगी में डांस बारों के ऐसे विषयों पर चर्चा की है, जो रहस्य की श्रेणी में आते हैं।
हजारों किलोमीटर के हाईवे और सड़कों पर हर साल सैकड़ों हत्याएं होती है। हजारों करोड़ का माल लूटा जाता है।
हाईवे पर सक्रिय माफिया की इन खूनी और दरिंदगी से भरी हरकतों पर कभी हंगामा नहीं होता। कारण बहुत डरावना है।
हाईवे अपराधों में दरअसल किसी अमीर की हत्या नहीं होती, न उससे हफ्तावसूली होती है। ये तो ट्रक ड्राइवर और क्लीनर हैं, जिन्हें हाईवे माफिया मार गिराते हैं।
पेट्रोल, डीजल, घासलेट, नेप्था चोरी, तस्करी से मिलावट तक, दवा-रसायनों-डाई की चोरी से मिलावट तक, लोहे के सरियों से कॉपर ड्रमों की चोरी तक, मोबाइल फोन, सिगरेट, तंबाकू, कपड़ों, प्लास्टिक दानों से भरे ट्रकों – कंटेनरों की लूटपाट तक, न जाने क्या-क्या हरकत नहीं करता सड़कों पर सक्रिय हाईवे माफिया।
खोजी पत्रकार विवेक अग्रवाल और साथी राकेश दानी ने इस किताब में इसकी परत दर परत हर पोल खोली है।
भारतीय समाज की बेड़िया जनजाति में फैली एक भयावह परंपरा, कुरीतियों, अपराधों पर आधारित किताब है – ‘अगले जनम बेड़नी ना कीजो।‘ यह किताब देश के बेड़िया समाज की सदियों पुरानी उस परंपरा पर नजर डालती है, जिसके तहत परिवार के मर्द ही अपनी बेटियों-बहनों से वेश्यावृत्ति करवाते हैं। समाज की बनाई परंपराओं के पिंजरों में कैद ये लड़कियां उन बुलबुलों की तरह हैं, जो नाच-गा तो सकती हैं, लेकिन रो नहीं सकतीं। इन बेड़नियों की दर्द भरी जिंदगी और हालात पर शोध आधारित पुस्तक है - अगले जनम बेड़नी ना कीजो। बेड़िया समाज की लड़कियां इस कलंकित पेशे से बाहर निकलने के लिए छटपटा रही हैं, उसी पर लेखक ने पूरा ध्यान केंद्रित किया है। बेड़िया समाज में आ रहे परिवर्तनों को भी रेखांकित करने की कोशिश इस किताब में है।
वृक्ष हमारे जीवन का अविभाज्य अंग हैं। वृक्षों के बिना जंगल और जंगल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। जंगल हमारे पर्यावरण को परिष्कृत, सुरक्षित और संतुलित रखते हुए हमारे जीवन को रोगमुक्त तथा दीर्घायु बनाने की क्षमता रखते हैं। परंतु इस सत्य को दरकिनार कर जंगलों का कटना अबाध रूप से जारी है। इसका विपरीत प्रभाव न केवल पर्यावरण पर पड़ रहा है, बल्कि जीवों का अस्तित्व भी ख़तरे में पड़ गया है।
लोगों में पर्यावपण के प्रति जागृति भरने के लिए ‘वृक्षम् शरणम् गच्छामि’, ‘रहिमन पानी राखिए’, ‘ये आबादी कितनी बर्बादी’, ‘प्राणवायुः शत-शत प्रणाम’, ‘स्वच्छता देवालय है’ तथा ‘ध्वनि प्रदूषण है खरदूषण’ की रचना हुई। लोक नाट्यों को संक्षिप्त संस्करण के रूप में लेखक ने गायन व वाचन कर आकाशवाणी मुंबई ने धारावाहिक रूप में प्रसारित करके लोकहित में एक महत उद्देश्य की पूर्ति करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
दिल्ली की एक सत्य घटना पर आधारित उपन्यास, जो स्पेशल सेल और आतंकवादियों के बीच चूहे-बिल्ली के खेल का रोमांचक नजारा पेश करता है।
आतंकवादियों के दिल्ली दहलाने की योजना एक कोड शीट में छुपी थी, जिसे डिकोड किया स्पेशल के जांबाज डीसीपी प्रताप सिंह और उनकी टीम ने।
दिमाग चकरा देने वाला उपन्यास जांच टीम को दिल्ली से बैंकॉक तक दौड़ाता है। हर पल नए रहस्योद्घाटन उपन्यास को नवीनता देते हैं।
A novel based on a true event of Delhi police and act of terrorism. A mindboggling plot of a terror act, how Special Cell of Delhi Police solves it.
At the end of the drama, the revelation shocks all the investigative team. Cracking the conspiracy and decoded the code sheet will give a great read to the readers.
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E BOOK-NARAK SARHAD PAAR @ 249.00
NARAK SARHAD PAR