Vriksham Sharanam Gachhami
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Vriksham Sharanam Gachhami

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वृक्ष हमारे जीवन का अविभाज्य अंग हैं। वृक्षों के बिना जंगल और जंगल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। जंगल हमारे पर्यावरण को परिष्कृत, सुरक्षित और संतुलित रखते हुए हमारे जीवन को रोगमुक्त तथा दीर्घायु बनाने की क्षमता रखते हैं। परंतु इस सत्य को दरकिनार कर जंगलों का कटना अबाध रूप से जारी है। इसका विपरीत प्रभाव न केवल पर्यावरण पर पड़ रहा है, बल्कि जीवों का अस्तित्व भी ख़तरे में पड़ गया है।

लोगों में पर्यावपण के प्रति जागृति भरने के लिए ‘वृक्षम् शरणम् गच्छामि’, ‘रहिमन पानी राखिए’, ‘ये आबादी कितनी बर्बादी’, ‘प्राणवायुः शत-शत प्रणाम’, ‘स्वच्छता देवालय है’ तथा ‘ध्वनि प्रदूषण है खरदूषण’ की रचना हुई। लोक नाट्यों को संक्षिप्त संस्करण के रूप में लेखक ने गायन व वाचन कर आकाशवाणी मुंबई ने धारावाहिक रूप में प्रसारित करके लोकहित में एक महत उद्देश्य की पूर्ति करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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Dr. Rajendra Sanjay

बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. राजेंद्र संजय ने कई रंगमंच और रेडियो नाटक लिखे हैं, उनमें अभिनय किया  और उनका निर्देशन भी किया है।आपने विविध भारती सेवा के “हवा महल” तथा “रस-विहार” प्रोग्राम के लिए कई नाटक लिखे, उनका निर्देशन किया और उनमें अभिनय किया है। इनके अतिरिक्त आपने लगभग एक दर्जन हिंदी फिल्मों में अभिनय किया है जिनमें प्रमुख हैं-सौदागर,पांच खिलाड़ी, हम बच्चे हिंदुस्तान के, तीसरा किनारा, रुस्तम, वो जो था एक मसीहाः मौलाना आज़ाद। आपने नेपाली फिल्म ‘निष्ठुरी’ में भी अभिनय किया है। आपने कई फिल्मों के गीत लिखे हैं जिनमें प्रमुख हैं पांच खिलाड़ी, तवायफ की बेटी और वो जो था एक मसीहाः मौलाना आज़ाद। आपने फिल्म वो जो था एक मसीहाः मौलाना अज़ाद को लिखा, निर्देशित किया और भारती व्यास के साथ मिलकर निर्माण भी किया। इस फिल्म को आर्यन रोज फाउंडेशन ने फीचर फिल्म कैटेगेरी में तृतीय सर्वश्रेष्ठ फिल्म के रूप में पुरष्कृत किया है। इसी फिल्म को बेतिया इंटरनेशनल फिल्म फेस्टीवल 2021 ने रुवि अवार्ड से पुरस्कृत किया है। आपने गुजरात राज्य सरकार के लिए भारती व्यास के साथ मिलकर दो डॉक्यूमेंट्री फिल्में “नहीं-नहीं” (दहेज प्रथा विरोधी) तथा “महादान” ( रक्तदान संबंधी)  फिल्में बनाई। बाद में आपने आकाशवाणी की मशहूर उद्घोषिका और गुजराती लोकगीत गायिका भारती व्यास के जीवन पर आधारित चालीस मिनट की व्हिडियो डॉक्यूमेंट्री फिल्म “बंटवारे का दर्द” निर्मित की।

       आपकी लिखी 8 पुस्तकें प्रकाशित हैं-1.तुमने पुकारा है(काव्य) ,2-शब्द मेरे (काव्य), 3.समर्पण का मूल्य (रेडियो नाटक संग्रह), 4. रेडियो-रंगमंच नाट्य संघ (संपादित), 5.डियर भा (संपादित),6.सूरज उगने से पहले (खंडकाव्य), 7.भोजपुरी फिल्मों का इतिहास तथा 8.रिश्ते क़रीब के (ग़ज़ल संग्रह)।

        आपने अंग्रेजी में बच्चों के लिए चार चित्र कथाएं लिखी हैं जिन्हें इंडिया बुक हाउस ने अमर चित्र कथा सिरिज के अंतर्गत प्रकाशित की है-राणा सांगा, बप्पा रावल, वीर हम्मीर तथा कुंअर सिंह। ये चारों पुस्तकें हिंदी के अलावा दूसरी भारतीय भाषाओं में भी प्रकाशित हैं। ये पुस्तकें फ्रेंच तथा पुर्तगाली भाषा में भी सुलभ हैं।   

        स्वतंत्र पत्रकारिता में आपका महत्वपूर्ण योगदान है। आपने ‘साप्ताहिक हिंदुस्तान’ के लिए सांस्कृतिक स्तंभ ‘बंबई की डायरी’, फिल्म स्तंभ ‘दांव-पेंच’ तथा सामाजिक मुद्दों संबंधी स्तंभ ‘हॉट लाईन बंबई’ आठ सालों तक लगातार एक साथ लिखे। ‘पांचजन्य’ साप्ताहिक के लिए हिंदी फिल्मों की समीक्षा ‘फिल्म संसार’ स्तंभ के अंतर्गत फिल्मी हस्तियों से संबंधित कई सालों तक सारगर्भित लेख और साक्षात्कार लिखे। आपका संक्षिप्त जीवन-परिचय साहित्य अकादमी के 1999 अंग्रेजी संस्करण में प्रकाशित है।

BK050
10 Items

Data sheet

Author
Dr Rajendra Sanjay

Specific References

isbn
9788196406929

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Vriksham Sharanam Gachhami

वृक्ष हमारे जीवन का अविभाज्य अंग हैं। वृक्षों के बिना जंगल और जंगल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। जंगल हमारे पर्यावरण को परिष्कृत, सुरक्षित और संतुलित रखते हुए हमारे जीवन को रोगमुक्त तथा दीर्घायु बनाने की क्षमता रखते हैं। परंतु इस सत्य को दरकिनार कर जंगलों का कटना अबाध रूप से जारी है। इसका विपरीत प्रभाव न केवल पर्यावरण पर पड़ रहा है, बल्कि जीवों का अस्तित्व भी ख़तरे में पड़ गया है।

लोगों में पर्यावपण के प्रति जागृति भरने के लिए ‘वृक्षम् शरणम् गच्छामि’, ‘रहिमन पानी राखिए’, ‘ये आबादी कितनी बर्बादी’, ‘प्राणवायुः शत-शत प्रणाम’, ‘स्वच्छता देवालय है’ तथा ‘ध्वनि प्रदूषण है खरदूषण’ की रचना हुई। लोक नाट्यों को संक्षिप्त संस्करण के रूप में लेखक ने गायन व वाचन कर आकाशवाणी मुंबई ने धारावाहिक रूप में प्रसारित करके लोकहित में एक महत उद्देश्य की पूर्ति करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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