- -₹199.00
मुंबई अपराध जगत का ऐसा नाम, जिसके किरदार पर दर्जनों फिल्में बन गईं, न जाने कितने अखबारों और पत्रिकाओं के पन्ने रंगे गए, न जाने कितने घंटे खबरिया चैनलों पर खबरें और फीचर बन गए, दशकों तक लोगों की निगाहों का मरकज रहा, उसके नाम के चर्चे सड़क से संसद तक होते रहे... वह गजब का किरदार था। यह देश का सबसे बड़ा सोना तस्कर था - हाजी मस्तान मिर्जा।
हाजी मस्तान सीधा-साधा किरदार नहीं है। उसमें कई रंग है, उसके कई चेहरे हैं, इन चेहरों पर कई-कई नकाब हैं, उसकी कई जिंदगियां है; एक सीधी लकीर की मानिंद मस्तान का किरदार खींचना संभव नहीं। किसी के लिए वह अपराधी है, किसी के लिए फरिश्ता, किसी के लिए दोस्त है, किसी के लिए दुश्मन, किसी के लिए बेहतरीन खबर, किसी के लिए मददगार, किसी का रहनुमा, किसी का पथप्रदर्शक, किसी के लिए जलन का बायस, तो किसी के लिए फर्श से अर्श तक पहुंचने का करिश्माई व्यक्तित्व और सफलता की कहानी है।
AUTHOR
VIVEK AGRAWAL, a journalist with 3 decades of vast experience in the field of crime, defense, legal & terrorism in all the dimensions of media. Since 1985, he actively started writing as a freelancer for the local, state & national newspapers and earned good name in the united Madhya Pradesh.
His career in the mainstream newspapers started in 1992 with Hindi tabloid ‘Hamara Mahanagar’ at Mumbai. In 1993, joined Hindi national newspaper ‘Jansatta’ as a crime reporter. He broke many big time stories in both the newspapers.
His broadcast media journalism days started with India’s First Views Channel ‘Janmat’ (Live India) as Bureau Head, Maharashtra-Goa. He was part of the team of channel ‘Mi Mrathi’. Then joined ‘India TV’ as an investigative journalist.
Vivek Agrawal joined as State Head with ‘News Express’. He cracked many stories of Mumbai Mafia, Terrorism, Financial Crimes and Homeland Security all these days.
He is now focusing on writing and documentary projects, consulting print and electronic media houses to establish & run news businesses with right directions and high esteem.
He is offering his services as a news broadcast channel / newspaper / magazine setup professional to news assessment editor to various new establishments across the nation.
26 books on true crime and other serious subjects written by Vivek. He is the country’s first and only researcher-true crime writer in Hindi language.
His books ‘Mumbhai‘ and ‘Mumbhai Returns‘ created quite a stir in the publishing industry and content field. The book ‘Mumbhai’ won the Maharashtra State Hindi Sahitya Akademi Award 2018 in Journalism Catagory. In the same year ‘Mumbhai’ stood #1 in the non-fiction category in the Jagran-Nielsen survey.
The novel Dattatraya Lodge stood 2nd in the Maharashtra Sahitya Academy, Jainendra Kumar Award 2021-22 in the Novel category.
His one of the bestselling book Bombay Bar translated into Punjabi.
He was Chief Content Coordinator for Documentary Money Mafia Season 3 on Discovery Plus.
He is into creative writing for the Films, TV Shows and Web Series. Scripted 2 films, many short films, TV Shows.
Many Film, Web Series, TV+, TV Shows and Podcast projects are underway based on his books or concepts. Not only Crime, Mafia, Terrorism, Mysteries, Social Crimes, Economic Crimes but Social & Entertaining subjects are also procured by studios / production houses.
Unique and startling concepts and stories for the entertainment shows are his strength.
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Mumbhai
मुंबई माफिया पर कुछ लिखना, वह भी तब, जब बहुत कुछ कहा-सुना-लिखा-पढ़ा जा चुका हो, एक चुनौती है। ऐसी किताब पेश की है, जिसमें अंडरवर्ल्ड के ढेरों राज फाश हुए हैं।
ख़बरों की कुछ दिनों तक कीमत होती है लेकिन संग्रहणीय किताब सदियों तक कीमती बनी रहती है। देश का सबसे खतरनाक अंडरवर्ल्ड पूरे विश्व में जा पहुँचा है।
सुकुर नारायण बखिया, लल्लू जोगी, भाणा पटेल, हाजी मस्तान, करीम लाला तक तस्करी थी। वरदराजन मुदलियार ने कच्ची शराब, जुआखानों, चकलों, हफ़्तावसूली तक वो सब किया, जिससे गैंग के बीज पड़े। उसके बाद मन्या सुर्वे, आलमज़ेब, अमीरजादा, पापा गवली, बाबू रेशिम, दाऊद, गवली, सुभाष ठाकुर, बंटी, हेमंत, रवि, संतोष शेट्टी, वगैरह आए। ‘मुंभाई’ में कई अछूते विषय हैं। यह शोधपरक लेखन है। यह पुस्तक अंडरवर्ल्ड का जीवंत दस्तावेज़ है। ये ‘मुंभाई’ श्रृंखला की पहली पुस्तक है।
मुंबई माफिया पर कुछ लिखना, वह भी तब, जब बहुत कुछ कहा-सुना-लिखा-पढ़ा जा चुका हो, एक चुनौती है। ऐसी किताब पेश की है, जिसमें अंडरवर्ल्ड के ढेरों राज फाश हुए हैं।
ख़बरों की कुछ दिनों तक कीमत होती है लेकिन संग्रहणीय किताब सदियों तक कीमती बनी रहती है। देश का सबसे खतरनाक अंडरवर्ल्ड पूरे विश्व में जा पहुँचा है।
सुकुर नारायण बखिया, लल्लू जोगी, भाणा पटेल, हाजी मस्तान, करीम लाला तक तस्करी थी। वरदराजन मुदलियार ने कच्ची शराब, जुआखानों, चकलों, हफ़्तावसूली तक वो सब किया, जिससे गैंग के बीज पड़े। उसके बाद मन्या सुर्वे, आलमज़ेब, अमीरजादा, पापा गवली, बाबू रेशिम, दाऊद, गवली, सुभाष ठाकुर, बंटी, हेमंत, रवि, संतोष शेट्टी, वगैरह आए। ‘मुंभाई’ में कई अछूते विषय हैं। यह शोधपरक लेखन है। यह पुस्तक अंडरवर्ल्ड का जीवंत दस्तावेज़ है। ये ‘मुंभाई’ श्रृंखला की दुसरी पुस्तक है।
e book : Khakhi Gangwar @ 199.00
Meet Shekhar Pandey, an unwavering police officer determined to bring down Inspector Bhaiya and his corrupt Khaki Company within the Mumbai Police. Assigned to the Anti-Corruption Bureau, Shekhar faces a dangerous conspiracy that threatens his life.
As he unravels a web of corruption, corporate warfare, and underworld involvement, Shekhar's unwavering spirit will be put to the ultimate test.
Can he defeat Bhaiya and cleanse the Mumbai Police of deep-rooted corruption? Find out in "Khaki Gangwar."
ये छोटे-छोटे व्यंग्य यक्ष-युधिष्ठिर संवाद रूप में जब सामने आते हैं, तो हर उस बात पर व्यंग्य करते चलते हैं, जो लेखक समाज में देखता है। एक - दो पन्नों के लेख में रचना तत्व तो व्यंग्य विधान का है लेकिन प्राचीन आख्यानक के जरिए प्राचीन और अर्वाचीन की तुलना करते जाने से अधिक पैनापन आया है। वक्त की सलीब पर लटके यक्ष और युधिष्ठिर जैसे पात्र जब प्रश्न एवं उत्तर उपस्थित करते हैं, तो उनमें यथार्थ के अनगिन शूल मन में धंसते जाते हैं। ये व्यंग्य रिपोर्ताज श्रेणी का लेखन है, जो इन दिनों कम ही देखने में आता है। विवेक अग्रवाल चूंकि एक पत्रकार हैं, वे सामाजिक-राष्ट्रीय विषयों पर पैनी निगाह रखते हैं, जिसके चलते इन पर तंज करने से भी नहीं चूकते हैं।
आर्केस्ट्रा डांसर की दुनिया भी निराली है। एक तरफ जहां बेड़िया समुदाय की लड़कियां पारंपरिक रूप से इन ऑर्केस्ट्रा में नाचती मिलती हैं, तो गर्ल चाइल्ड ट्रैफकिंग की शिकार लड़कियां भी आर्केस्ट्रा डांसर बनती है, वहीं कुछ लड़कियां बाखुशी इस पेशे में आती है। जरूरी नहीं कि वे सब वेश्यावृत्ति करें। उत्तेजित भीड़ को अपने करीब तक नहीं फटकने देती।
बिहार राज्य में ही 2,000 से अधिक आर्केस्ट्रा पार्टी फुल टाइम लड़कियों के नाच-गाने पर ही चलती हैं। कोई गरीबी की वजह से, कोई आपातकालीन जरूरतों के कारण, कोई शौकिया तौर पर, कोई सिर्फ कमाई करने के लिए, तो कोई फिल्मों में एक रोल मिलने की चाहत में आर्केस्ट्रा पार्टियों के संचालकों की गुलाम बन मंचों पर नाचती हैं। एक तरफ आर्केस्ट्रा लोगों को रोजगार देते हैं, मनोरंजन करते हैं, तो दूसरी तरफ लड़कियों के लिए सुनहले पिंजरों में तब्दील हो जाते हैं।
माफिया सिरीज की सातवीं किताब, जिसमें अंडरवर्ल्ड और देश के तमाम रेसकोर्स में सबसे बड़े और विख्यात महालक्ष्मी रेसकोर्स की जमीन पर नियंत्रण, हजारों करोड़ के जुए-सट्टे पर कब्जे लेकर मचे घमासान और अंदरूनी रहस्यों का पर्दाफाश है। राजनेता, उद्योगपति, बिल्डर, फिल्मी हस्तियां, गिरोह सरगना के झगडे में फंसते हैं गरीब और ऐसे लोग, जिनका इस दुनिया से कोई वास्ता नहीं। उपन्यास का नायक जॉकी पीसी सेठ क्या-क्या गुल खिला सकता है, उसके अंतस में झांकने की कोशिश है। रेसकोर्स की अंदरूनी राजनीति और क्लब पर नियंत्रण के होने वाली राजनीति, उसमें बने मोहरों के टकराव की खतरनाक अंदरूनी जानकारियों और सच्चे किस्सों-किरदारों से सजी किताब का नाम है - रेसर। ये तमाम नग्न सत्य का प्रकटन करता, सच्चे किरदारों से सजा विवेक अग्रवाल का उपन्यास रेसर आपको हर पल चौंकाएगा।
मुंबई अंडरवर्ल्ड अनगिन रहस्य समेटा कहानियों का समंदर है। बस किसी के अंदर तक गोता लगा कर बाहर निकाल लाने की देर है।
किताब क्लीनर में लाशें ठिकाने लगाने वाले पेशेवरों की पूरी दास्तान है, जो आपको हर हर्फ के साथ चौंकाती है।
क्लीनर पाठक को तब तक खुद से जोड़े रखती है, जब तक कि वह इसे खत्म न कर ले।
Cleaner, a novel based on underworld, is first of it’s kind in the Hindi literature. All the charterers and events of the stories are based on a true event of sin and sinister of the world of criminality.
Vivek Agrawal picked up story of a professional dead body cleaning agent of Mumbai underworld, who is operating in disguise with his 2 friends. Backdrop of the Indian Mafioso and blending with literary allegory will keep you engaging till you end the novel.
E BOOK-UNDERWORLD BULLETS @ 199.00
Non Fiction book based on Mumbai Underworld true account. This book has 113 short pieces in Hindi about Mumbai Mafia. The tales of Mumbai underbelly will give you new horizon. The narrative of the book presents the facts, anecdotes and history of dark world of Mumbai. It is true account and chronicle of dark side of human history.
E BOOK-UNDERWORLD DANE @ 149.00
Non Fiction book based on Mumbai Underworld true account. This book has 98 short pieces in Hindi about Mumbai Mafia. The tales of Mumbai underbelly will give you new horizon. The narrative of the book presents the facts, anecdotes and history of dark world of Mumbai. It is true account and chronicle of dark side of human history.
वृक्ष हमारे जीवन का अविभाज्य अंग हैं। वृक्षों के बिना जंगल और जंगल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। जंगल हमारे पर्यावरण को परिष्कृत, सुरक्षित और संतुलित रखते हुए हमारे जीवन को रोगमुक्त तथा दीर्घायु बनाने की क्षमता रखते हैं। परंतु इस सत्य को दरकिनार कर जंगलों का कटना अबाध रूप से जारी है। इसका विपरीत प्रभाव न केवल पर्यावरण पर पड़ रहा है, बल्कि जीवों का अस्तित्व भी ख़तरे में पड़ गया है।
लोगों में पर्यावपण के प्रति जागृति भरने के लिए ‘वृक्षम् शरणम् गच्छामि’, ‘रहिमन पानी राखिए’, ‘ये आबादी कितनी बर्बादी’, ‘प्राणवायुः शत-शत प्रणाम’, ‘स्वच्छता देवालय है’ तथा ‘ध्वनि प्रदूषण है खरदूषण’ की रचना हुई। लोक नाट्यों को संक्षिप्त संस्करण के रूप में लेखक ने गायन व वाचन कर आकाशवाणी मुंबई ने धारावाहिक रूप में प्रसारित करके लोकहित में एक महत उद्देश्य की पूर्ति करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
समाज में कहानियां कहां नहीं बिखरी हैं। अंडरवर्ल्ड भी इनसे अछूता नहीं है। अपराध जगत में कहानियों का कोई टोटा नहीं, देखने की नजर भर चाहिए। इन पर साहित्यिक दृष्टिकोण से कभी काम नहीं हुआ। विवेक अग्रवाल ने यह काम आरंभ किया है। माफिया जगत के अंदर पैठ कर खोजी ये कहानियां हतप्रभ करती हैं। उनमें मानवीय रूप भी नजर आते हैं, तो समाज के सत्य व कसैले स्वरूप के दर्शन भी होते हैं।
A literary story collection based on underworld is first of its kind in the Hindi literature. All the charterers and events of the stories are based on a true event of sin and sinister of the world of criminality. Vivek Agrawal picked up some characters and stories from the Indian Mafioso and blended them with literary allegory
प्रियदर्शिनी देश की प्रधानमंत्री, जिनके लिए भारत की संप्रभुता सबसे ऊपर है। अमरीका ने खतरनाक सीआईए एजंट रॉबर्ट को प्रियदर्शिनी वध का जिम्मा सौंप रखा है। रॉबर्ट हमले की योजनाएं बनाता है, हर हमले का उसे रेड बैरेट से मुंहतोड़ जवाब मिलता है।
सेना के विभाग टेक्टिकल एक्शन ग्रुप (टेग) के बैनर तले काम करने वाले अज्ञात ग्रुप का कोड नेम रेड बैरेट है।
रेड बैरेट के पास सिर्फ एक काम है - हर हाल में प्रधानमंत्री की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाना, दुश्मनों के एक्टिव होते ही दबोच कर सूचनाएं हासिल करना और मार गिराना।
रेड बैरेट के लिए सीमाओं का बंधन नहीं है। इन्हें सारी दुनिया में काम करने के लिए मुक्त रखा गया।
रेड बैरेट उपन्यास पूरे घटनाक्रम का रोमांचक और लोमहर्षक वर्णन पेश करता है। भारतीय सैन्य खुफिया इकाई की जाबांजी के तमाम किस्सों में से कुछ रेड बैरेट में पेश करता है।
दिल्ली की एक सत्य घटना पर आधारित उपन्यास, जो स्पेशल सेल और आतंकवादियों के बीच चूहे-बिल्ली के खेल का रोमांचक नजारा पेश करता है।
आतंकवादियों के दिल्ली दहलाने की योजना एक कोड शीट में छुपी थी, जिसे डिकोड किया स्पेशल के जांबाज डीसीपी प्रताप सिंह और उनकी टीम ने। दिमाग चकरा देने वाला उपन्यास जांच टीम को दिल्ली से बैंकॉक तक दौड़ाता है।
हर पल नए रहस्योद्घाटन उपन्यास को नवीनता देते हैं।
A novel based on a true event of Delhi police and act of terrorism. A mindboggling plot of a terror act, how Special Cell of Delhi Police solves it.
At the end of the drama, the revelation shocks all the investigative team. Cracking the conspiracy and decoded the code sheet will give a great read to the readers.
Mumbhai
मुंबई माफिया पर कुछ लिखना, वह भी तब, जब बहुत कुछ कहा-सुना-लिखा-पढ़ा जा चुका हो, एक चुनौती है। ऐसी किताब पेश की है, जिसमें अंडरवर्ल्ड के ढेरों राज फाश हुए हैं।
ख़बरों की कुछ दिनों तक कीमत होती है लेकिन संग्रहणीय किताब सदियों तक कीमती बनी रहती है। देश का सबसे खतरनाक अंडरवर्ल्ड पूरे विश्व में जा पहुँचा है।
सुकुर नारायण बखिया, लल्लू जोगी, भाणा पटेल, हाजी मस्तान, करीम लाला तक तस्करी थी। वरदराजन मुदलियार ने कच्ची शराब, जुआखानों, चकलों, हफ़्तावसूली तक वो सब किया, जिससे गैंग के बीज पड़े। उसके बाद मन्या सुर्वे, आलमज़ेब, अमीरजादा, पापा गवली, बाबू रेशिम, दाऊद, गवली, सुभाष ठाकुर, बंटी, हेमंत, रवि, संतोष शेट्टी, वगैरह आए। ‘मुंभाई’ में कई अछूते विषय हैं। यह शोधपरक लेखन है। यह पुस्तक अंडरवर्ल्ड का जीवंत दस्तावेज़ है। ये ‘मुंभाई’ श्रृंखला की पहली पुस्तक है।
रजत कपूर अंडरवर्ल्ड का फाइनेंसर है। रजत डॉन दानिश को फाईनेंस करता है लेकिन अपने साधनों-संसाधनों का दोहन उतना ही करने देता है, जिससे किसी अवैध गतिविधि में सीधे उसका नाम न जुड़े।
रजत कपूर देश का सबसे बड़ा हीरा उद्योगपति है। विश्व के ब्लड डायमंड के सबसे बड़े खिलाड़ियों में शूमार है। सोने-चांदी की तस्करी में भी उसका हाथ है। अपनी चमकती-दमकती दुनिया बनाए व बचाए रखने के लिए उसने मायाजाल और इंद्रजाल बना रखा है।
वह माफिया की मदद से कारोबार करता है, भ्रष्ट अफसरों-नेताओं के जरिए सिस्टम में पैठ बना कर काले को सफेद में तब्दील करता है। दुनिया के हर भ्रष्ट देश में रजत की जड़ें हैं। काम निकालने और लाभ बढ़ाने के लिए ड्रग्स और स्मॉल आर्म्स तस्करी से भी परहेज नहीं रखता।
कैसे चलता है फाईनेंसरों का खेल और अंडरवर्ल्ड का खूनी संसार, इस किताब में बेपर्दा होकर सामने आता है।
Desire propels humanity, shaping societies either constructively or destructively. While luxury is an inherent human aspiration, unchecked consumption accelerates environmental degradation. Modern households, inundated with consumer goods—sprays, detergents, plastic bags, and vehicles—contribute to pollution and ecological imbalance. Aerosols deplete the ozone layer, air conditioners exacerbate indoor pollution, and industrial expansion poisons water bodies. The relentless march of industrialization and urbanization suffocates the environment, from vehicular emissions to the toxic byproducts of energy production.
E BOOK-CORONA UNCOS
Corona Uncos is a collection of stories that are very heart warming or terribly heart wrenching. While some stories might shatter your faith in humanity, some of them will not fail to bring a smile on your face.
This book is completely dedicated to the known and unknown Corona Warriors. 150 such stories have been written and compiled by Tanisha Agrawal.
Mumbhai
मुंबई माफिया पर कुछ लिखना, वह भी तब, जब बहुत कुछ कहा-सुना-लिखा-पढ़ा जा चुका हो, एक चुनौती है। ऐसी किताब पेश की है, जिसमें अंडरवर्ल्ड के ढेरों राज फाश हुए हैं।
ख़बरों की कुछ दिनों तक कीमत होती है लेकिन संग्रहणीय किताब सदियों तक कीमती बनी रहती है। देश का सबसे खतरनाक अंडरवर्ल्ड पूरे विश्व में जा पहुँचा है।
सुकुर नारायण बखिया, लल्लू जोगी, भाणा पटेल, हाजी मस्तान, करीम लाला तक तस्करी थी। वरदराजन मुदलियार ने कच्ची शराब, जुआखानों, चकलों, हफ़्तावसूली तक वो सब किया, जिससे गैंग के बीज पड़े। उसके बाद मन्या सुर्वे, आलमज़ेब, अमीरजादा, पापा गवली, बाबू रेशिम, दाऊद, गवली, सुभाष ठाकुर, बंटी, हेमंत, रवि, संतोष शेट्टी, वगैरह आए। ‘मुंभाई’ में कई अछूते विषय हैं। यह शोधपरक लेखन है। यह पुस्तक अंडरवर्ल्ड का जीवंत दस्तावेज़ है। ये ‘मुंभाई’ श्रृंखला की पहली पुस्तक है।
मुंबई माफिया पर कुछ लिखना, वह भी तब, जब बहुत कुछ कहा-सुना-लिखा-पढ़ा जा चुका हो, एक चुनौती है। ऐसी किताब पेश की है, जिसमें अंडरवर्ल्ड के ढेरों राज फाश हुए हैं।
ख़बरों की कुछ दिनों तक कीमत होती है लेकिन संग्रहणीय किताब सदियों तक कीमती बनी रहती है। देश का सबसे खतरनाक अंडरवर्ल्ड पूरे विश्व में जा पहुँचा है।
सुकुर नारायण बखिया, लल्लू जोगी, भाणा पटेल, हाजी मस्तान, करीम लाला तक तस्करी थी। वरदराजन मुदलियार ने कच्ची शराब, जुआखानों, चकलों, हफ़्तावसूली तक वो सब किया, जिससे गैंग के बीज पड़े। उसके बाद मन्या सुर्वे, आलमज़ेब, अमीरजादा, पापा गवली, बाबू रेशिम, दाऊद, गवली, सुभाष ठाकुर, बंटी, हेमंत, रवि, संतोष शेट्टी, वगैरह आए। ‘मुंभाई’ में कई अछूते विषय हैं। यह शोधपरक लेखन है। यह पुस्तक अंडरवर्ल्ड का जीवंत दस्तावेज़ है। ये ‘मुंभाई’ श्रृंखला की दुसरी पुस्तक है।
भारतीय समाज की बेड़िया जनजाति में फैली एक भयावह परंपरा, कुरीतियों, अपराधों पर आधारित किताब है – ‘अगले जनम बेड़नी ना कीजो।‘ यह किताब देश के बेड़िया समाज की सदियों पुरानी उस परंपरा पर नजर डालती है, जिसके तहत परिवार के मर्द ही अपनी बेटियों-बहनों से वेश्यावृत्ति करवाते हैं। समाज की बनाई परंपराओं के पिंजरों में कैद ये लड़कियां उन बुलबुलों की तरह हैं, जो नाच-गा तो सकती हैं, लेकिन रो नहीं सकतीं। इन बेड़नियों की दर्द भरी जिंदगी और हालात पर शोध आधारित पुस्तक है - अगले जनम बेड़नी ना कीजो। बेड़िया समाज की लड़कियां इस कलंकित पेशे से बाहर निकलने के लिए छटपटा रही हैं, उसी पर लेखक ने पूरा ध्यान केंद्रित किया है। बेड़िया समाज में आ रहे परिवर्तनों को भी रेखांकित करने की कोशिश इस किताब में है।
मुंबई अपराध जगत का ऐसा नाम, जिसके किरदार पर दर्जनों फिल्में बन गईं, न जाने कितने अखबारों और पत्रिकाओं के पन्ने रंगे गए, न जाने कितने घंटे खबरिया चैनलों पर खबरें और फीचर बन गए, दशकों तक लोगों की निगाहों का मरकज रहा, उसके नाम के चर्चे सड़क से संसद तक होते रहे... वह गजब का किरदार था। यह देश का सबसे बड़ा सोना तस्कर था - हाजी मस्तान मिर्जा।
हाजी मस्तान सीधा-साधा किरदार नहीं है। उसमें कई रंग है, उसके कई चेहरे हैं, इन चेहरों पर कई-कई नकाब हैं, उसकी कई जिंदगियां है; एक सीधी लकीर की मानिंद मस्तान का किरदार खींचना संभव नहीं। किसी के लिए वह अपराधी है, किसी के लिए फरिश्ता, किसी के लिए दोस्त है, किसी के लिए दुश्मन, किसी के लिए बेहतरीन खबर, किसी के लिए मददगार, किसी का रहनुमा, किसी का पथप्रदर्शक, किसी के लिए जलन का बायस, तो किसी के लिए फर्श से अर्श तक पहुंचने का करिश्माई व्यक्तित्व और सफलता की कहानी है।