Raktap
मनोविकार या मनोरोग की दुनिया किसी इंद्रजाल से कम नहीं। यह सम्मोहक, डरावनी, रहस्यमई, दहशतनाक, विकट, करिश्माई, तिलिस्मी, गूढ़, हैरतअंगेज, जादुई, भेदक, विपुल संभावनाओं से भरी है।
स्कीजोफ्रेनिया ऐसा मनोरोग है, जिसके मरीज खुली आंखों से ख्वाब देखते हैं। मीरा रोड और रायपुर के दो मामले हमारे सामने हैं, मीरा रोड में एक बेटे ने मां की हत्या कर दी, रायपुर में एक युवक ने मां, पिता और प्रेमिका की हत्याएं कीं।
‘रक्तप’ का मुख्य पात्र पवन प्रभाकर एक मासूम कातिल है। पवन का वर्तमान और भूतकाल, तो किताब में हैं लेकिन भविष्य क्या होगा, यह काल के गाल में समाया है।
पवन एक मनोरोगी है, जो लोगों की हत्याएं करता दिखता है लेकिन दोस्त, रिश्तेदार, परिचित, सहयोगी, सहकर्मी, ग्राहक, सब उससे खुश हैं। इसके बावजूद कोई उसे हत्यारा या अपराधी क्यों नहीं मानता!? इसी सवाल का जवाब ‘रक्तप’ में है।.